Bhutiya kahani : रहस्म्य लॉकेट का माया जाल - बूढ़ी आत्मा
हम सभी लोगों को आज तक कुछ ना कुछ जरूर मिला होगा रास्ते पे या किसी जगह पे वो चाहे पैसे , पेन या कोई दूसरी वस्तु यह भूतिया कहानी ( bhutiya kahani ) है
किया होता है जब एक लड़की को लॉकेट मिलता है उसकी पूरी जिंदगी की काया पलट ...
कहानी की शुरवात होती है और हम एक घर देखते है जिसमे पूरा परिवार में खुश है क्योंकि उनकी बेटी जिसका नाम वीना है दसवीं कक्षा पास कर जाती है
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अब
बस उन्हें उनकी बेटी का दाखिला कराना है उनके पिता जिनका नाम गोविंद राय ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं थे वो एक हवेली में काम करते थे मगर उन्होंने अब वो काम छोड़ दिया है क्यूं और किसलिए छोड़ा था वो किसी को नहीं बताते है अब वो शहर जा कर काम करते है
तो वो अपनी बेटी का दाखिला कॉलेज में करने के बाद वापस शहर चले जाते है ।
और अब वीना कॉलेज जाती है और आती है अपने दोस्तों के साथ । वह कब जाती है -आती है इन सब पे कोई तो है जो उस पे नज़र रखे हुआ है
एक बार वीना को लगता है कोई उसे देख रहा वह पीछे मुड़ती है मगर कोई नही रहता ।
वो ज्यादा अमीर तो नहीं थे मगर उनकी जिंदगी काफी अच्छी कट रही थी
मगर कहते है ना खुशियों को नजर लगते देर नहीं लगती
आज वीना अकेले ही कॉलेज जाती है उसके कुछ दोस्तो को घर पे काम है तो कुछ दोस्तों की सेहत खराब है तो वीना आज अकेले ही कॉलेज जाती है और काफी अच्छे से ध्यान लगा के शिक्षको की बात ध्यान से सुनती है वो पढ़ाते है की
आपको उतना ही खाना चाहिए जितना आप खा सकते अगर आप जबरदस्ती ज्यादा खाना खा लेते है तो आपके लिए हानिकारक है पाचन में दिक्कत हो सकती है और आपका शरीर तनाव में जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा पानी पिए इससे आपके चेहरे पड़ चमक रहती है , ना की बाहर की कोल्ड ड्रिंक
बस उन्हें उनकी बेटी का दाखिला कराना है उनके पिता जिनका नाम गोविंद राय ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं थे वो एक हवेली में काम करते थे मगर उन्होंने अब वो काम छोड़ दिया है क्यूं और किसलिए छोड़ा था वो किसी को नहीं बताते है अब वो शहर जा कर काम करते है
तो वो अपनी बेटी का दाखिला कॉलेज में करने के बाद वापस शहर चले जाते है ।
और अब वीना कॉलेज जाती है और आती है अपने दोस्तों के साथ । वह कब जाती है -आती है इन सब पे कोई तो है जो उस पे नज़र रखे हुआ है
एक बार वीना को लगता है कोई उसे देख रहा वह पीछे मुड़ती है मगर कोई नही रहता ।
वो ज्यादा अमीर तो नहीं थे मगर उनकी जिंदगी काफी अच्छी कट रही थी
मगर कहते है ना खुशियों को नजर लगते देर नहीं लगती
आज वीना अकेले ही कॉलेज जाती है उसके कुछ दोस्तो को घर पे काम है तो कुछ दोस्तों की सेहत खराब है तो वीना आज अकेले ही कॉलेज जाती है और काफी अच्छे से ध्यान लगा के शिक्षको की बात ध्यान से सुनती है वो पढ़ाते है की
आपको उतना ही खाना चाहिए जितना आप खा सकते अगर आप जबरदस्ती ज्यादा खाना खा लेते है तो आपके लिए हानिकारक है पाचन में दिक्कत हो सकती है और आपका शरीर तनाव में जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा पानी पिए इससे आपके चेहरे पड़ चमक रहती है , ना की बाहर की कोल्ड ड्रिंक
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अब
वीना अकेले ही घर आती है मगर उससे रास्ते में एक लॉकेट दिखता है
वो काफी ज्यादा चमक रहा था वो कहती है नहीं
यह मेरा नहीं है
मगर वो अपने आप पर काबू नहीं कर पाती वो लॉकेट काफी ज्यादा सुंदर था ऐश मानो की उसी का इंतजार हो रहा था
वह उठा लेती है और वो फैसला करती है किसी को नहीं बताएगी घर पहुंच कर वो अपनी मां को भी नही बताती
दूर से कोई है जो उसपे नजर रखा हुआ है जैसे वीना ने वह लॉकेट उठाया वो ऐश मुस्कुराया जैसे उसका काम हो गया ।
अब जब उसके घर में उसकी मां सो जाती है तो वीना उठती है और वो लॉकेट निकालती है सच में अंधेरे में भी वो उसकी हाथ में बहुत ज्यादा चमक रहा था ।
अगली सुबह वो अपने दोस्तो को कहती है यह देखो मेने कल यह लॉकेट खरीदा सभी दोस्त उससे कहते है काफी बढ़िया है यह लॉकेट
अब वीना फैसला करती है यह लॉकेट वो पहनकर घर जाएगी अपने मां को बताएगी की खरीद के ली है
दूर से कोई है जो उसपे नजर रखा हुआ है जैसे वीना ने वह लॉकेट उठाया वो ऐश मुस्कुराया जैसे उसका काम हो गया ।
अब जब उसके घर में उसकी मां सो जाती है तो वीना उठती है और वो लॉकेट निकालती है सच में अंधेरे में भी वो उसकी हाथ में बहुत ज्यादा चमक रहा था ।
अगली सुबह वो अपने दोस्तो को कहती है यह देखो मेने कल यह लॉकेट खरीदा सभी दोस्त उससे कहते है काफी बढ़िया है यह लॉकेट
अब वीना फैसला करती है यह लॉकेट वो पहनकर घर जाएगी अपने मां को बताएगी की खरीद के ली है
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मगर यह शायद उसकी बहुत बड़ी भूल थी ।
उसको लॉकेट पहेने एक हफ्ता हो गया
और उसका शरीर धीरे धीरे बूढ़ी औरत की हो रहा था उससे कुछ समझ नहीं आता की किया हो रहा है उसे कई सारी बीमारी भी हो रही थी उससे हर समय बुखार रहता वो ना सही से खा पाती और नही सही से पी पाती और ना ही चैन से सो पाती है
17 साल की उमर में वो 70 की उमर की हो गई थी वीना की मां को कुछ समझ नहीं आता की किया हो रहा वो अपने पति को पूरी बात बताती है फ़ोन कर के
गोविंद जल्द ही घर पहुंचता है और सभी डॉक्टरों को अपनी बेटी को देखता है मगर वो कुछ नहीं कर पाते
तभी गोविंद अपनी बेटी वीना के गले में लॉकेट देखता है और अपनी पत्नी से पूछता है यह लॉकेट ,
लॉकेट कैसे आया इसके पास
पत्नी : वह बताती है की वीना ने खरीद कर इससे लाई थी
गोविंद : नहीं, यह एक साजिश है सब
वो अपनी पत्नी को जोर से कहता है यह सब इसी लॉकेट के वजह से हुआ है और उस लॉकेट को तोड़ के फेंकता है मगर कुछ ठीक नहीं होता
उसकी पत्नी पूछती है किया है इस लॉकेट में और किया बात आप छुपा रहे हो आप
अब गोविंद सारी बात बताना शुरू करता है
में जिस हवेली में काम करता था वहां के मालिक जिनका नाम राजवीर सिंह है वह काफी अच्छे है अपने सभी नौकरों का ध्यान रखते है में वहा रसोई घर में खाना बना के देता था उन्हें मेरा हाथ का खाना काफी अच्छा लगता था मगर वो हमेशा शाम को दुखी रहते वो यह बात किसी को नही बताते थे में उनके लिए अच्छे अच्छे पकवान बना कर पेश करता था तो उनका मन खुश हो जाता था मेने एक बार उनसे पूछा
गोविंद : साहब किया बात है आप इतने दुखी कियू रहते है
राजवीर : मुझे अपनी बेटी की चिंता है पता नहीं कैसे ठीक होगी वो
उसकी बेटी का शरीर बचपन से ही बूढ़ी औरत की तरह था चेहरे पे छुड़िया थी वो काफी बीमारी से गुजर रही थी उसके शरीर से कोई भी बीमारी ठीक नही हो रही थी वो बताते ही की काफी डॉक्टरों को दिखाया,हकीम ,वैध मगर कोई कुछ नही कर पाए
मगर यह शायद उसकी बहुत बड़ी भूल थी ।
उसको लॉकेट पहेने एक हफ्ता हो गया
और उसका शरीर धीरे धीरे बूढ़ी औरत की हो रहा था उससे कुछ समझ नहीं आता की किया हो रहा है उसे कई सारी बीमारी भी हो रही थी उससे हर समय बुखार रहता वो ना सही से खा पाती और नही सही से पी पाती और ना ही चैन से सो पाती है
17 साल की उमर में वो 70 की उमर की हो गई थी वीना की मां को कुछ समझ नहीं आता की किया हो रहा वो अपने पति को पूरी बात बताती है फ़ोन कर के
गोविंद जल्द ही घर पहुंचता है और सभी डॉक्टरों को अपनी बेटी को देखता है मगर वो कुछ नहीं कर पाते
तभी गोविंद अपनी बेटी वीना के गले में लॉकेट देखता है और अपनी पत्नी से पूछता है यह लॉकेट ,
लॉकेट कैसे आया इसके पास
पत्नी : वह बताती है की वीना ने खरीद कर इससे लाई थी
गोविंद : नहीं, यह एक साजिश है सब
वो अपनी पत्नी को जोर से कहता है यह सब इसी लॉकेट के वजह से हुआ है और उस लॉकेट को तोड़ के फेंकता है मगर कुछ ठीक नहीं होता
उसकी पत्नी पूछती है किया है इस लॉकेट में और किया बात आप छुपा रहे हो आप
अब गोविंद सारी बात बताना शुरू करता है
में जिस हवेली में काम करता था वहां के मालिक जिनका नाम राजवीर सिंह है वह काफी अच्छे है अपने सभी नौकरों का ध्यान रखते है में वहा रसोई घर में खाना बना के देता था उन्हें मेरा हाथ का खाना काफी अच्छा लगता था मगर वो हमेशा शाम को दुखी रहते वो यह बात किसी को नही बताते थे में उनके लिए अच्छे अच्छे पकवान बना कर पेश करता था तो उनका मन खुश हो जाता था मेने एक बार उनसे पूछा
गोविंद : साहब किया बात है आप इतने दुखी कियू रहते है
राजवीर : मुझे अपनी बेटी की चिंता है पता नहीं कैसे ठीक होगी वो
उसकी बेटी का शरीर बचपन से ही बूढ़ी औरत की तरह था चेहरे पे छुड़िया थी वो काफी बीमारी से गुजर रही थी उसके शरीर से कोई भी बीमारी ठीक नही हो रही थी वो बताते ही की काफी डॉक्टरों को दिखाया,हकीम ,वैध मगर कोई कुछ नही कर पाए
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गोविंद : आप चिंता मत करिए आपकी बेटी ठीक हो जाएगी में घर जा कर प्रार्थना करूंगा
अब अगले दिन इसी तरह राजवीर एक पेड़ के पास बैठे थे तो उनके पास एक बाबा आए उन्होंने ने पूछा किया हुआ राजवीर ने सारी बात बताई
वोह बाबा हवेली पहुंच कर उसकी बेटी को देखते है और कहते है साया , बुरा साया एक बूढ़ी आत्मा का साया है तुम्हारी बेटी पड़ उसने
तुम्हारी बेटी के शरीर को कब्जा कर लिया
और तुम्हारी पत्नी जो मरी थी वो इसी बूढ़ी आत्मा ने मारा था शायद वो अपनी बेटी को ठीक करना चाहती थी मगर इस आत्मा ने उसे मार दिया ।
राजवीर : यह आप किया कह रहे हो बाबा , जल्द से जल्द इस आत्मा से पीछा छूटना है
बाबा : हां , अगर तुम चाहते हो की तुम्हारी बेटी पूरी तरह से ठीक हो जाए तो एक ऐसी लड़की ढूंढनी होगी जो उसी दिन पैदा हुई हो जिस दिन तुम्हारी बेटी पैदा हुई हो और उनकी उमर भी एक ही होनी चाहिए
इससे जो बूढ़ी आत्मा तुम्हारे बेटी के शरीर में है उसको हम भेंट में वो शरीर सौंप देंगे और तुम्हारी बेटी सही हो जायेगी
राजवीर : जैसा आप कहो बाबा में अपनी बेटी को ठीक करने के लिए कुछ भी कर सकता हु , कुछ भी मुझे कोई परवा नहीं
राजवीर उन गांव में सभी लड़की की उमर का पता करता है जो उसकी बेटी के जन्म वाले दिन पैदा हुई हो मगर कोई नहीं मिलती फिर से निराशा ही मिलती है |
अब दो दिन बाद गोविंद की बेटी का जन्म दिन होता है और वो अपने मालिक को यह अमिंत्रण देता है
राजवीर : दो दिन बाद तुम्हारी बेटी का जन्मदिन है ?
गोविंद : हां, मालिक
राजवीर : किया उमर है तुम्हारी बेटी की ?
गोविंद : 15 साल
राजवीर : मेरी बेटी का जन्म दिन है दो दिन बाद वो भी 15 साल की हो जायेगी
अब राजवीर सारी बात गोविंद को बताता है
राजवीर तुम्हे जितने पैसे चाहिए सब रख लो मगर इसके लिए मना मत कर न चाहे तो ये हवेली भी रख लो
मगर गोविंद माना कर देता है और कहता है
गोविंद : मेरे बेटी से ज्यादा कोई मूल्य चीज नहीं है और नही पैसा
और गोविंद उसी वक्त वो काम छोड़ देता है
अब
गोविंद भागते हुए उस हवेली में जाता है और राजवीर से कहता है
गोविंद : यह तुमने सही नहीं किया
राजवीर: तो में और किया करता तुम तो मेरी बात नही माने वो देखो मेरी बेटी को कितनी अच्छी लग रही खेलते हुए
हस्ते हुए बोला
गोविंद : अपनी बेटी के लिए तुम किसी और की बेटी को जिंदगी बरबाद नहीं कर सकते
राजवीर : तुम्हे जो चाहिए वो अभी भी ले सकते हो मगर में अपनी बेटी को ठीक करना ही था
गोविंद : यह सब तुमने कैसे किया
राजवीर : वह बाबा को बुलाता है ।
गोविंद : बाबा और कोई उपाय नहीं है मेरी बेटी को बचाने का बताइए
बाबा : है मगर वो इतना कठिन है की उसे शायद तुम ना कर पाओ
गोविंद : आप बस बताइए
गोविंद : आप चिंता मत करिए आपकी बेटी ठीक हो जाएगी में घर जा कर प्रार्थना करूंगा
अब अगले दिन इसी तरह राजवीर एक पेड़ के पास बैठे थे तो उनके पास एक बाबा आए उन्होंने ने पूछा किया हुआ राजवीर ने सारी बात बताई
वोह बाबा हवेली पहुंच कर उसकी बेटी को देखते है और कहते है साया , बुरा साया एक बूढ़ी आत्मा का साया है तुम्हारी बेटी पड़ उसने
तुम्हारी बेटी के शरीर को कब्जा कर लिया
और तुम्हारी पत्नी जो मरी थी वो इसी बूढ़ी आत्मा ने मारा था शायद वो अपनी बेटी को ठीक करना चाहती थी मगर इस आत्मा ने उसे मार दिया ।
राजवीर : यह आप किया कह रहे हो बाबा , जल्द से जल्द इस आत्मा से पीछा छूटना है
बाबा : हां , अगर तुम चाहते हो की तुम्हारी बेटी पूरी तरह से ठीक हो जाए तो एक ऐसी लड़की ढूंढनी होगी जो उसी दिन पैदा हुई हो जिस दिन तुम्हारी बेटी पैदा हुई हो और उनकी उमर भी एक ही होनी चाहिए
इससे जो बूढ़ी आत्मा तुम्हारे बेटी के शरीर में है उसको हम भेंट में वो शरीर सौंप देंगे और तुम्हारी बेटी सही हो जायेगी
राजवीर : जैसा आप कहो बाबा में अपनी बेटी को ठीक करने के लिए कुछ भी कर सकता हु , कुछ भी मुझे कोई परवा नहीं
राजवीर उन गांव में सभी लड़की की उमर का पता करता है जो उसकी बेटी के जन्म वाले दिन पैदा हुई हो मगर कोई नहीं मिलती फिर से निराशा ही मिलती है |
अब दो दिन बाद गोविंद की बेटी का जन्म दिन होता है और वो अपने मालिक को यह अमिंत्रण देता है
राजवीर : दो दिन बाद तुम्हारी बेटी का जन्मदिन है ?
गोविंद : हां, मालिक
राजवीर : किया उमर है तुम्हारी बेटी की ?
गोविंद : 15 साल
राजवीर : मेरी बेटी का जन्म दिन है दो दिन बाद वो भी 15 साल की हो जायेगी
अब राजवीर सारी बात गोविंद को बताता है
राजवीर तुम्हे जितने पैसे चाहिए सब रख लो मगर इसके लिए मना मत कर न चाहे तो ये हवेली भी रख लो
मगर गोविंद माना कर देता है और कहता है
गोविंद : मेरे बेटी से ज्यादा कोई मूल्य चीज नहीं है और नही पैसा
और गोविंद उसी वक्त वो काम छोड़ देता है
अब
गोविंद भागते हुए उस हवेली में जाता है और राजवीर से कहता है
गोविंद : यह तुमने सही नहीं किया
राजवीर: तो में और किया करता तुम तो मेरी बात नही माने वो देखो मेरी बेटी को कितनी अच्छी लग रही खेलते हुए
हस्ते हुए बोला
गोविंद : अपनी बेटी के लिए तुम किसी और की बेटी को जिंदगी बरबाद नहीं कर सकते
राजवीर : तुम्हे जो चाहिए वो अभी भी ले सकते हो मगर में अपनी बेटी को ठीक करना ही था
गोविंद : यह सब तुमने कैसे किया
राजवीर : वह बाबा को बुलाता है ।
गोविंद : बाबा और कोई उपाय नहीं है मेरी बेटी को बचाने का बताइए
बाबा : है मगर वो इतना कठिन है की उसे शायद तुम ना कर पाओ
गोविंद : आप बस बताइए
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बाबा : तुम्हे एक जड़ी बूटी लानी होगी जो गांव के बाहर जंगल में है वो तुम्हे बीचों बीच मिलेगा मगर उस जड़ी बूटी के आस पास बहुत सारे सांप है और दूसरे जानवर भी वहा जाना मतलब मौत
अगर वो तुम ले आए तो
वह जड़ी बूटी को किसी तरह तुम्हारी बेटी को खिलाकर तुम्हारी बेटी का पूरा शरीर नीला हो जायेगा और जो आत्मा तुम्हारी बेटी के शरीर में है उससे लगेगा की तुम्हारी बेटी की मृत्यु हो गई है और वो आत्मा तुम्हारी बेटी का शरीर छोड़ के आजाद हो जाएगी और अपने लिए दूसरे का शरीर ढूंढने लगेगी और समय से उसे शरीर ना मिला।तो उसकी आत्मा का अंत हो जाएगा
फिर कुछ समय बाद तुम्हारी बेटी का शरीर नीला रंग से वापस पहले जैसा हो जायेगा और वो भी ठीक हो जाएगी ।
गोविंद : ठीक है बाबा में तैयार हूं अपनी बेटी के लिए कुछ भी
अब गोविंद उस जंगल में पहुंचता है और बहुत ही मुश्किल से वो सभी जानवरों से लड़ते हुए उस जगह पहुंचता है जहा वो जड़ी बूटी है मगर वोह इलाका पूरी तरह से सांप से भरा था अब गोविंद शिव जी का भक्त है तो वो शिव जी का नाम ले कर आगे बढ़ता है और सारे सांप एक के बाद एक कर के उस जगह से हट रहे थे ।
गोविंद : ठीक है बाबा में तैयार हूं अपनी बेटी के लिए कुछ भी
अब गोविंद उस जंगल में पहुंचता है और बहुत ही मुश्किल से वो सभी जानवरों से लड़ते हुए उस जगह पहुंचता है जहा वो जड़ी बूटी है मगर वोह इलाका पूरी तरह से सांप से भरा था अब गोविंद शिव जी का भक्त है तो वो शिव जी का नाम ले कर आगे बढ़ता है और सारे सांप एक के बाद एक कर के उस जगह से हट रहे थे ।
और वोह जड़ी बूटी ले कर अपनी बेटी को खिला देता है और वैसा ही होता है उसकी बेटी का शरीर नीला हो जाता है वो आत्मा जब देखती है की इसकी शरीर में कोई भी हल चल नही हो रही यह उसका शरीर छोड़ के चली जाती है और सब कुछ पहले जैसा ठीक हो जाता है ।
कहते है ना अगर आपके इरादे अच्छे हो और आपने
थान लिया कुछ करने का तो वो काम कितना कठिन हो ही जाता है ।
यह भूतिया कहानी ( bhutiya kahani) पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद । उम्मीद करता हु आपको आनंद आया हो 😊।
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