सेठ नत्थू राम :एक कहानी ठग और चालबाज की| moral story in hindi
एक दुकान जिसमे कई कर्मचारी काम कर रहे है । इस दुकान पड़ काफी भीड़ है एक ग्राहक को कांच की बरनी चाहिए तो जब एक कर्मचारी कांच की बरनी दे रहा होता है तो उससे टूट के गिर जाती है सारी गलती उस कर्मचारी जिसका नाम किशोर है उसकी बताई जाती है ग्राहक को दूसरी कांच की बरनी दी जाती है फिर आता है उस दुकान का सेठ नत्थू राम जिससे ये मालूम चलता है तो वो कर्मचारी किशोर को अलग से बुला कर कहता है की टूटा तुम से तुम ही भरपाई करोगे तुम्हारी तनख्वाह से काटा जाएगा इसका पैसा
किशोर : नही मालिक ऐसा मत कीजिए मेरी तनख्वाह कितनी है
सेठ नत्थू राम : वो सब में नही जानता, गलती करोगे तो भुगतना होगा
किशोर के तनख्वाह से पैसे काटे जाते है ।
अब ये किशोर क्यू इतना चिंतित है और वो इसीलिए दुकान का काम छोड़ के नही जा सकता क्योंकि सेठ नत्थू राम ने पहले ही दुकान पे रखने से उससे दस्तखत करा लिए थे 3 साल तक कही और नही जा सकते
आइए आपको बताते है किस चिड़िया का नाम है सेठ नत्थू राम
इस व्यक्ति को पहले ही पता था कि आने वाले समय में पैसे काफी काम आएगा तो इसने पैसे को बचना शुरू कर दिया
सेठ नत्थू राम यह से वहा चल कर जाता था रिक्शा, ऑटो नही करता था
वह पुराने- फटे कपड़े पहनता
और रात के खाना को गर्म कर के सुबह खाया करता
ऐसा उसने 5 साल तक लगभग किया फिर बचाए हुए पैसे से उसने एक दुकान कर ली और धीरे धीरे इसने दस दुकानें खोल ली कंजूसी और लोगो को ठग के
अब इससे इतना घमंड है की इससे लगता है पैसे से सब कुछ कर सकते है ।
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और इसी तरह वो अपने दुकान में काम कर रहे कर्मचारियों को कम पैसे देता और उनसे गलती होती तो वो उनके ही तनख्वाव से काट ता है ।
वो कहते है ना
जैसे नहले पे दहला होता है
छोटे चोर से चालक बड़ा चोर होता है
इसी तरह हर बाप पहले बेटा होता
दो दिन बाद सेठ नत्थू राम एक बड़ी दुकान खोलने वाला है जिसके लिए वो एक मैनेजर रखना चाहता है क्योंकि यह दुकान शहर की सब से बड़ी दुकान होगी जिसमें छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग के सामन मिलेंगे उनके जरूरत के अनुसार ।
इसीलिए वो एक मैनेजर रखना चाहता है जो चालक और जिसमे बुद्धि हो की फायदा करा सके
कई सारे लोग आते है उसके पास
वो सभी से यही सवाल करता है
अगर तुम्हारे दुकान में अगर कोई सामना वापस करने आए तो तुम किया करोगे ?
एक के बाद सब यही ही कहते है की वो समान वापस करने जब आएगा तो उससे समान ले लेंगे
सेठ नत्थू राम : अपना फायदा देखना है और ग्राहक भी बार बार आने चाहिए यह मन में सोचता है
उन सब को इस नौकरी के लिए मना कर देता है ।
मगर
एक व्यक्ति जिसका नाम सौरभ है वो कहता है में वो समान वापस नही करूंगा में उनसे यह कहूंगा कि आप इसके बदले कोई और सामना ले सकते है यहां आपकी सारी पसंद की सामने मिल जायेगी
इससे हमारा ग्राहक भी नाराज नहीं होगा और जब सारी सामने हमारे यहां से मिल जायेगी तो वो बार बार आयेंगे ।
सेठ नत्थू राम सौरभ को रख लेता है मैनेजर की पोस्ट पड़
अब अगले दिन जब उद्घाटन होता है तो काफी अच्छी बिक्री होती है और उसी रात को सारे पैसे चोरी हो जाते है ।
सेठ नत्थू राम को जब पता चलता है तो वो मैनेजर सौरभ से पूछता है कैसे हुआ ये
और इसी तरह वो अपने दुकान में काम कर रहे कर्मचारियों को कम पैसे देता और उनसे गलती होती तो वो उनके ही तनख्वाव से काट ता है ।
वो कहते है ना
जैसे नहले पे दहला होता है
छोटे चोर से चालक बड़ा चोर होता है
इसी तरह हर बाप पहले बेटा होता
दो दिन बाद सेठ नत्थू राम एक बड़ी दुकान खोलने वाला है जिसके लिए वो एक मैनेजर रखना चाहता है क्योंकि यह दुकान शहर की सब से बड़ी दुकान होगी जिसमें छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग के सामन मिलेंगे उनके जरूरत के अनुसार ।
इसीलिए वो एक मैनेजर रखना चाहता है जो चालक और जिसमे बुद्धि हो की फायदा करा सके
कई सारे लोग आते है उसके पास
वो सभी से यही सवाल करता है
अगर तुम्हारे दुकान में अगर कोई सामना वापस करने आए तो तुम किया करोगे ?
एक के बाद सब यही ही कहते है की वो समान वापस करने जब आएगा तो उससे समान ले लेंगे
सेठ नत्थू राम : अपना फायदा देखना है और ग्राहक भी बार बार आने चाहिए यह मन में सोचता है
उन सब को इस नौकरी के लिए मना कर देता है ।
मगर
एक व्यक्ति जिसका नाम सौरभ है वो कहता है में वो समान वापस नही करूंगा में उनसे यह कहूंगा कि आप इसके बदले कोई और सामना ले सकते है यहां आपकी सारी पसंद की सामने मिल जायेगी
इससे हमारा ग्राहक भी नाराज नहीं होगा और जब सारी सामने हमारे यहां से मिल जायेगी तो वो बार बार आयेंगे ।
सेठ नत्थू राम सौरभ को रख लेता है मैनेजर की पोस्ट पड़
अब अगले दिन जब उद्घाटन होता है तो काफी अच्छी बिक्री होती है और उसी रात को सारे पैसे चोरी हो जाते है ।
सेठ नत्थू राम को जब पता चलता है तो वो मैनेजर सौरभ से पूछता है कैसे हुआ ये
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सौरभ : हमे किया पता सर हम तो दुकान अच्छी तरह बंद कर के गए थे ।
सेठ नत्थू राम कैमरा चेक करता है वो कहता है हा मगर पैसे चोरी कैसे हुए ?
वो कहता है कोई इसके बारे में किसी को नही बताएगा नही तो बेइज्जती होगी
अब अगले दिन फिर दुकान का आधा सामना चोरी हो जाता है
जब सेठ नत्थू राम को पता चलता है तो
वो कहता है लूट गए भाया लूट गए
मैनेजर को बुलाता है सौरभ कैसे हुआ ये
सर चोर आए चोरी कर के ले गए अब हमे किया पता ।
उनके पास हथियार थे जान बची तो लाखों पाए
अब यह बात हर जगह चर्चे में है चोरी हो गई ।
सौरभ : हमे किया पता सर हम तो दुकान अच्छी तरह बंद कर के गए थे ।
सेठ नत्थू राम कैमरा चेक करता है वो कहता है हा मगर पैसे चोरी कैसे हुए ?
वो कहता है कोई इसके बारे में किसी को नही बताएगा नही तो बेइज्जती होगी
अब अगले दिन फिर दुकान का आधा सामना चोरी हो जाता है
जब सेठ नत्थू राम को पता चलता है तो
वो कहता है लूट गए भाया लूट गए
मैनेजर को बुलाता है सौरभ कैसे हुआ ये
सर चोर आए चोरी कर के ले गए अब हमे किया पता ।
उनके पास हथियार थे जान बची तो लाखों पाए
अब यह बात हर जगह चर्चे में है चोरी हो गई ।
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सेठ नत्थू राम को कुछ समझ नहीं आता ऐसा क्यू हो रहा है वो सभी को निकाल देता है नौकरी से और कहता है कुछ महीनों बाद फिर से शुरू होगा ये
अब
अगले दिन उसके दुकान में चार पांच लोग आते है और कहते है सेठ नत्थू राम को
हटाओ यह सब सामना यह जगह मेरी है ,यह मेरी दुकान है ।
सेठ नत्थू राम : भाया ये मेरी दुकान है
वह लोग असली दुकान के कागज़ दिखाता है और कहते है यह दुकान हमने यहां के मालिक सौरभ से ली है
अब सेठ नत्थू राम पूरा सदमे में चला जाता है मैने सब को पोपट बनाया उसने मुझे पोपट बना के उड़ा दिया
वो सौरभ को बोलता है
सौरभ : हां सर मेने ही आप से दस्तखत कराए आप से ही सीखा है सर
सेठ नत्थू राम : अबे तूने मुझे बर्बाद कर दिया पहले चोरी की और पूरा दुकान बेच दिया तूने कोन है तू ?
सौरभ : किशोर तो याद होगा
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मेरे बड़े भाई है तुमने कितने लोगो को बेवकूफ बनाया उन से पैसे लूटे और उन्होंने मुझे सब बताया कि तुमने किया क्या मेरे भाई के साथ और कई सारे कर्मचारी के साथ मेने
तुम से दस्तखत करा के उन्हें भी आजाद कर दिया ।
सौरभ : में मानता हु कि तुमने मेहनत की पैसे बचा कर इतने बड़े बने मगर घमंड और लालच इंसान को एक दिन डूबा ही देती है इसी लिए तुम्हे सबक की जरूरत थी और इसी सिख के साथ यह कहानी खत्म होती है ।
मेरे बड़े भाई है तुमने कितने लोगो को बेवकूफ बनाया उन से पैसे लूटे और उन्होंने मुझे सब बताया कि तुमने किया क्या मेरे भाई के साथ और कई सारे कर्मचारी के साथ मेने
तुम से दस्तखत करा के उन्हें भी आजाद कर दिया ।
सौरभ : में मानता हु कि तुमने मेहनत की पैसे बचा कर इतने बड़े बने मगर घमंड और लालच इंसान को एक दिन डूबा ही देती है इसी लिए तुम्हे सबक की जरूरत थी और इसी सिख के साथ यह कहानी खत्म होती है ।
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moral story in hindi यह कहानी आपका यहां तक पढ़ने के लिए धन्यवाद !
आशा है कि सेठ नत्थू राम और सौरभ से आपने कुछ सीखा होगा ।
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