यह bhoot ki kahani है एक सड़क जिसपे जब एक व्यक्ति सफर करने निकलता है तो
आइए आपका स्वागत है ! |
कहानी की शुरवात होती है सब से पहले एक सड़क को देखते है हम उस सड़क पे पूरी तरह से सन्नाटा है कोई भी गांव वासी उस सड़क का इस्तेमाल नहीं करते थे सब का यही ही मानना था जो भी व्यक्ति वो सड़क पार कर के आएगा वो अकेला नही आयेगा अपने साथ एक साया भी लायेगा
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अब
कुछ व्यक्ति जो थोड़े पढ़े लिखे थे वो इन सब बातों पर ध्यान नहीं देते थे ।
एक व्यक्ति जिसका नाम प्रशांत है वो शादी सुधा है
और आज उसको गांव के बाहर कुछ काम था मगर उससे ज्यादा लेट हो जाता है और उसकी बीवी जिसका नाम राधिका है वो अपने पति को बार बार फोन कर के परेशान करती है जल्दी आ जाओ , पूजा के लिए लेट हो रहा है
बात यह है कि आज प्रशांत के मां का जन्मदिन है और इसी लिए उन्होंने ने घर में पूजा रखी है
अब प्रशांत कहता है बस आ रहा हु।
आज प्रशांत को काफी लेट हो गया है अब वो सोचता है यह सड़क से ( भूतिया सड़क) चला जाता हूं।
अब वो इसी सड़क से जाता है और आधा रास्ता पार कर वो कहता है देखा कोई दिक्कत नही है इस सड़क पे बस फालतू की अफ़वा फैलाते है गांव वाले ।
थोड़ी देर चलते ही उसे एक महिला मिलती है वो हाथ देती है की गाड़ी रोकिए
प्रशांत अपनी गाड़ी को रोकता है और कहता है आप
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यहां किया कर रही है
महिला : मुझे लेट हो रहा था तो मेने सोचा ये रास्ता चुन लू
प्रशांत : अरे वाह मेने भी आज यही सोचा आइए में आपको छोड़ देता हु आगे
दोनो गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी में बैठ के आगे बढ़ने लगे जैसे ही परशांत अपने घर पहुंचा और पीछे देखा तो कोई महिला नही थी
वो सोच में पर जाता है की कहा गई वो महिला ?
फिर थोड़ी देर बाद यह सोचता है शायद मेरा व्यहम था ।
अब वो घर पहुंचता है तो सब उसका स्वागत करते है और पूजा शुरू होती है ।
और थोड़ी देर बाद गंगा जल सब को दिया जाता है सब ले लेते है मगर प्रशांत माना कर देता है नही लेता ।
वो कहता है : नहीं मुझे नही चाहिए दूर रखो
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सब यह सोचते है शायद दूर से आए तो थके है
पूरे परिवार ने कहा आप आराम कर लीजिए।
प्रशांत थोड़ी देर में सो जाता है और शाम को जब उठता है और शीशे में जा कर देखता है तो
ये वही महिला दिखती है हमे जिसने प्रशांत से लिफ्ट लिया था और अपने आप को शीशे में देख कर मुस्कुराने लगती है ।
अब कुछ देर बाद सब खाना खा के सो जाते है
और दादी मां अपने पोते और पोती को उस भूतिया सड़क की कहानी और भूत की कहानी ( bhoot ki kahani ) सुनाने लगती है उस सड़क पे काफी सारी आत्माओं का वास है
जो भी उस सड़क से पार करता है वो अकेला नहीं आता अपने साथ एक साया लाता है और धीरे धीरे वो साया सब उस व्यक्ति का खून पी के खत्म कर देता है
और धीरे धीरे उसकी प्यास बढ़ जाती है और आस पास के लोगो के खून पी कर मार देता है अगर एक साया भी उस भूतिया सड़क से आ गया तो वो
अपने साथियों को भी वहा से आजाद करने की कोशिश करेगा जिससे भूत , आत्मा और शैतान हो आजाद हो गए तो सब बर्बाद हो जाएगा और यह सब पहले हुआ था तो एक बाबा ने उस सड़क पे अपने मंत्र को फूका तिलस्मी शक्तियों से उन्हें वही कैद कर दिया अब वो तब तक यहां नही आ सकते जब तक कोई उन्हें वहा से अपने साथ बाहर न लाए या वो किसी के शरीर में परवेश करेंगे तभी आ सकते है इसीलिए उस सड़क पड़ जाना मना है समझे बच्चो
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यह सब प्रशांत को अच्छा नहीं लगता है की यह कहानी सुनाएगी की तो सब सतर्क ही रहेंगे और गुस्से से जा कर सो जाता है ।
थोड़ी देर बाद सब सो जाते है और प्रशांत आधी रात को उठ कर अपने आस पास देखता है
और अपने पड़ोसी के घर में घुस कर सभी लोगो के खून पीने लगता है और सभी को बड़ी बेरहमी से मार देता है और दादी मां की नींद खुल जाती है और वो देख लेती है यह सब प्रशांत को करते हुए ।
तुम , तुम मेरे बेटे नही हो सकते
तुम
प्रशांत के शरीर से महिला बोलती है हू सही कहा अम्मा मगर अब और कहानी सुनने के लिए आप जिंदा नहीं रहोगे
और वो महिला प्रशांत के मां का खून पी जाता है और उसकी मां पूरी तरह से खून निकलने की वजह से मर जाती है
अब सुबह
सभी लोग रोने लगते है
प्रशांत मां ये किया हो गया मां आपको
और राधिका और बच्चे सभी रोने लगते है
अब प्रशांत अपने बीवी और बच्चो को कहता है राधिका तुम अपने मायका चले जाओ जब यहां सब ठीक हो जाए तो आना
राधिका : मन ही मन सोचती है यह किया हो गया है प्रशांत बहुत बदला गए है जब से कल से आए है ।
अब राधिका हा कह देती है
इधर प्रशांत : अब तो खून ही खून और सभी गांव के लोगो को उस सड़क के बारे में बताना शुरू करता है ताकि उसके साथी भी उस सड़क से आजाद हो सके ।
अब राधिका को अपने मायके में यह सब बात पता चलता है कि भूतिया सड़क पे सब जाना आना शुरू करने वाले है कल से है
वो कहती यह प्रशांत नही है
अब राधिका को वो कहानी याद आती है जो उन्हे उनकी सासू मां ने सुनाया था भूतिया सड़क की
( bhoot ki kahani ) और वो समझ जाती है किया करना है ।
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वो आती है अपने घर बच्चो को मायका में ही छोड़ देती है
वो प्रशांत को कहती है में आ गई मेरा मन नहीं लग रहा था
प्रशांत के अंदर की महिला : कोई नहीं अब बचोगी भी नहीं
राधिका : आप इधर आइए आपसे मुझे कुछ काम है और धूप में जो प्रशांत ने अपने चेहरे पे पर्दा किया था उसे हटा देती है
प्रशांत : यह किया कर रही हो तुम
अचानक से वो महिला का रूप आ जाता है वो महिला उससे मारने जाती है की
राधिका के उसके ऊपर गंगा जल फेकने लगती है और धीरे धीरे
वो जलने लगती है और उस महिला का अंत हो जाता है ।
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