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horror story in hindi | गियारह साल बाद लौटा: एक बच्चे का भूत

यह horror story in hindi कहानी इसमें आप पढ़ेंगे ग्यारह साल का बदला की कहानी जब एक बच्चा लौटा भूत बन के 

horror story in hindi
तुम्हारा इंतजार था !

horror story in hindi : 

सब से पहले हम एक स्कूल को देखते जिसमे सभी लोग एक बच्चे को मना कर रहे मत कूदो मत कूदो उसके चेहरे पे एक डर था सभी लोग कहते है मत कूदो मगर वो कूद जाता है सभी देख के रोने लगते उसके हाथ में एक चिट्ठी थी मगर उस चिट्ठी को कोई निकाल लेता है और किसी को पता नहीं चलता

( यह कोन है और इसने एशा क्यू किया आगे जानेंगे )

यह एक प्राइवेट स्कूल है जिसमे ये बच्चा पढ़ रहा था जिसका नाम सत्या था

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सत्या के परिवार वालों को बुलाया जाता है 

और उनके परिवार वालो को यकीन नही होता उनके बेटे ने आत्महत्या की है सब कहते है लगता है प्यार में धोखा मिला होगा ,तो कोई कहता है लगता है इससे पढ़ाई होती नही थी और 

इनके परिवार वालो ने इसके उपर जोड़ दिया होगा पढ़ने के लिए

यह सब सून कर तो सत्या के परिवार उसके माता,पिता से जैसे पैरो तले जमीन खींच ली हो उन्हें समझ नहीं आ रहा था वो कह किया

इस घटना के बाद स्कूल कुछ दिनों तक बंद रहा और इस दौरान काफी शिक्षक ने अपना ट्रांसफर करा लिया तो किसी को प्रमोशन हो गया और उनको ऊंची पोस्ट मिल गई

सब भूल गए की स्कूल में कुछ हुआ भी था 🥲

सभी को यह ही लग रहा था की यह एक खुदखुसी है इसीलिए किसी को कोई मतलब ही नही कुछ सालो बाद फिर से हम उस स्कूल को देखते है आज सभी लोग बहुत ज्यादा खुश है

 स्कूल को अच्छी तरह से सजाया गया है इस स्कूल के सभी शिक्षक और तैयारी में लगे हुए है

क्युकी इस स्कूल के नए प्रिंसिपल आने वाले है

सभी इतने ज्यादा खुश इसीलिए है क्युकी वो प्रिंसिपल इसी स्कूल में पहले शिक्षक था अब और सब लोग जानते थे उस प्रिंसिपल को और


अब प्रिंसिपल सर आते है और उनको काफी बधाई मिलती है काफी सारे तौफे मिलते है

प्रिंसिपल सर अच्छे है वो सभी चॉकलेट,मिठाई बच्चो में बांट देते है

शिक्षक और शिक्षिका और बच्चे सभी खुश हो जाते हैं

यह प्रिंसिपल सर तो काफी अच्छे है सभी एशा कहते है

मगर प्रिंसिपल सभी को बड़ा अजीब नज़रों से देख कर आगे जा कर अपने प्रिंसिपल रूम बैठता है और सब बच्चों पढ़ने के लिए क्लास रूम में चले जाते है
और उनको
 आज पढ़ाया जाता है एक व्यक्ति कैसे अपने चेहरे छुपाता है और बदलता इस बात पर नही की उसका चेहरा गंदा इस बात पर क्युकी वो घटिया आदमी है और बुरे होते

शिक्षक यह पढ़ना चाहता है हमे उन लोगो से बचना चाहिए जो हम से बात करते समय अच्छे से बात करते है और दूसरो के सामने हमरी ही बुराई करते है

अब सभी चले जाते है और स्कूल का गेट बंद होता है

और स्कूल में हम देखते है सत्या का भूत जिसने आत्महत्या की थी वाह कहता बहुत ज्यादा गुस्से में

स्वागत है आपका नए प्रिंसिपल साहब आप का ही इंतजार था

अब अगले दिन उस स्कूल में एक टीचर को देखते है जो की सीनियर शिक्षक है वो 

एक बच्चे को काफी जोर लगा के छड़ी से मार रहा बस इतनी सी बात पे की उससे जो किताब लाना था वो नहीं लाता और वो शिक्षक उससे शाम तक मुर्गा बनने को कहता है


और जब शाम होती है तो वो शिक्षक कहता है इधर क्लास रूम में आ सभी लोग चले गए थे बस यह बच्चा और सीनियर शिक्षक थे क्लास रूम में वो

शिक्षक कहता है उस बच्चे को देख मेरे यहां कोचिंग पढ़ा कर नहीं तो अगले दिन भी तेरे साथ यही होगा

देखो अगर तुम मेरे यहां पढ़ोगे तो में तुम्हे शाम को ही बता दूंगा की कल तुम्हे किया लाना इससे तुम्हे कभी मार नही पड़ेगी और में किसी हर बच्चो को अच्छे से पढ़ता हू तभी तो सभी बच्चे टॉप करते है

बच्चा : कहता है ठीक है सर में कल आपके पास आ जाऊंगा कोचिंग पढ़ने

शिक्षक : अच्छा ठीक है जा अब तुझे लेट हो रहा होगा


बच्चे के जाने के बाद शिक्षक कहता है अरे कितना अच्छा एक दिन बच्चे को मुर्गा बना दो और वो तुम्हारे यहां पढ़ने को आ जायेगा और किया चाहिए

तभी क्लास रूम का दरवाजा बंद होता है और शिक्षक देखने जाता है किसने बंद किया दरवाजा और दरवाजा खुलता नही तभी आवाज आती है
कल करे से आज कर आज करे सो अब

शिक्षक : कोन है कोन है यहां
सत्या : में हूं भूल गए
शिक्षक : नही मुझे नही पता देखो में तुम्हारा एडमिशन कैंसल करवा दूंगा अगर तो कोई स्कूल के छात्र हो तो

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टकले की कुर्सी
सत्या :  कर टकले,
मोटे ,खा ,खा कर बहुत मोटा हो गया है बकरा हलाल करना होगा

शिक्षक : किया मतलब है तुम्हारा डरते हुए बोला

सत्या : अब मतलब उपर जा कर समझना

और सत्या ने उससे मार दिया गाला दावा के और उसे एक पंखे से टांग दिया और उसके हाथ में चिट्ठी रख दी

सभी सुबह आए और देखा की शुक्ला सर ने आत्महत्या कर ली है सब लोग देखते है उनके हाथ में चिट्ठी है

सब पढ़ते है उससे



उसमे लिखा था : में अरविंद शुक्ला आत्महत्या कर रहा हु में अपनी बीवी को धोखा दे रहा था मेरे कही और भी चक्कर चल रहा था और में अपनी बीवी को ज्यादा दिक्कत नही देना चाहता था तो में आत्महत्या कर रहा हु

कई सारे शिक्षक कहते ये इस उमर में यह कर रहा था अच्छा हुआ मर गया साला टकला

और यह बात प्रिंसिपल को भी पता चलती है मगर वो ज्यादा कुछ शोक नहीं बनाता शायद उससे बनती नहीं थी।

अब स्कूल फिर कुछ दिन के लिए बंद हो जाता है

स्कूल के अंदर सत्या कहता है कोई नही इतने दिन तुम्हारा इंतजार किया कुछ दिन और सही प्रिंसिपल साहब

और

जब स्कूल खुलता है तो शाम को एक और शिक्षक आत्महत्या हत्या कर लेता है स्कूल के बिल्डिंग से गिर के और उसके हाथ में भी चिट्ठी थी सब लोग बच्चे और शिक्षक आते है और चौंक जाते है यह हो किया रहा है यहां

अब चिट्ठी को पढ़ी जाती है

उसमे लिखा था : में समीर सिंह में आत्महत्या कर रहा हु मैने काफी बच्चो से अपने घर का काम करवाता था 

में उन से बर्तन धुलवाता और साफ सफाई करवाता था एक्स्ट्रा क्लास के बहाने अपने घर पे बुला के और आज मुझे समझ आ गया की यह सब गलत था में बस उन्हें एक दो घंटे नौकर की तरह काम करवाता था तो में आत्महत्या का रहा हु समीर सिंह । 

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अब प्रिंसिपल देखता है की इसने भी आत्महत्या कर ली

कुछ तो गरबर है और अब प्रिंसिपल इस्तीफा दे कर जा रहा होता है

अपनी कार में और तभी आवाज आती है इतनी जल्दी , 11 साल से तुम्हारा इंतजार कर रहा था आपका प्रिंसिपल सर

प्रिंसिपल : कोन, कोन हो तुम

सत्या : में सत्या वो टकला भी भूल गया और तुम भी

तब प्रिंसिपल को याद आता है
और वोह याद करता है की एक छात्र सत्या काफी अच्छा है पढ़ने में अगर यह हमारी कोचिंग में आ जाए और दूसरे बच्चे को कहे तो सब बच्चे हमारे यहां पढ़ने आएंगे किया कहता हो शुक्ला

हा ,बिल्कुल

उससे कल बुला लो घर पे

शुल्क काफी अच्छे से बात करता है की तुम हमारी कोचिंग में आ जाओ तुम्हे हम फ्री में पढ़ा देंगे

सत्या : नहीं में तो पढ़ने में ठीक हूं सर आप दूसरे बच्चे को फ्री में पढ़ा दीजिए

शुक्ला : तुम आ जाओ यह सिर्फ तुम्हारे लिए है

सत्या : नही

शुक्ला को बहुत गुस्सा आता है
और नीरज के साथ योजना बनता है ( नीरज ही प्रिंसिपल है)

और वो देखते है की इसने फीस जमा नहीं की अभी तक

कल से देखो शुक्ला किया हाल करता हु इस सत्या का

वो सुबह सुबह सत्या के आते ही उसकी बेइज्जती करता है कहता है पैसे होते नहीं और आ जाते है पढ़ने ,पहले पैसा जमा करो

अगले दिन सत्या अपने मां , बाप से कह के फीस भर देता है

और नीरज कहता है शुक्ला से कल उसे होमवर्क देना और जब वो कर के ले आए तो कहना मेने यह काम नही दिया था और खड़ा कर के उसकी बेइज्जती करना

और एशा ही होता है क्युकी सारे बच्चे वही काम कर के लाते है शुक्ला ने सभी बच्चों को दूसरा और सत्या को दूसरा काम दिया था 

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ऐशे ही हफ्ते भर नीरज और शुक्ला दोनो उससे परेशान करते है सत्या यह नही चाहता थी की वो किसी के यह कोचिंग जाता है क्युकी उसके पिता उससे पढ़ाते थे तो वो इसका तारीफ किसी और को नहीं देना चाहता था

तो इसीलिए फ्री कोचिंग में नहीं जाता और सत्या सोच लेता है की में सभी बच्चों को बता दूंगा इन्होंने कैसे मुझे परेशान किया वो यह सब चिट्ठी में लिख देता है और आत्महत्या कर लेता है और उसके आत्महत्या करने के बाद नीरज ही था जिसने वो चिट्ठी निकाल ली थी उसके हाथ से ।

अब यह सब याद आने के बाद नीरज कहता है छोड़ दो मुझे

सत्या : बहुत जल्दी सीधे हो गए जब मेने तुम्हारे पैर पकड़े थे तो कोई दया नही आई थी

नीरज
: छोड़ दो मुझे

सत्या : अगर बचना है तो सब के समाने बता दो 11 साल पहले तुमने मेरे साथ किया क्या

नीरज : हा,जरूर

अगली सुबह सभी शिक्षक और बच्चो को बताता है उससे पहले एक गिलास पानी पीता है ये सारी बात वो बता देता है थोड़ी देर में उसकी मौत हो जाती है 

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और उसके हाथ में एक चिट्ठी थी

एक बच्चा उससे पढ़ता है उसमे लिखा था : में नीरज मेने एक गिलास पानी में ज़हर डाल के पी लिया है मेने सत्या के साथ बहुत गलत किया था और शुक्ला ने भी उसको बहुत परेशान किया एक बार हमने उसे नंगा कर के क्लास रूम में दौड़ाया था बस इसी कारण की वो हमारी कोचिंग में नहीं आ रहा था सत्या सब को अपने पापा से पढ़ने को कहता था उसके पिता काफी अच्छा पढ़ाते थे और इस वजह से हमने योजना बनाई।

जैसे यह चिट्ठी पढ़ी जाती है यह हवा में उड़ जाती है और


यह कहानी यह सिखाती है

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अगर शुक्ला और नीरज अगर अपने पढ़ाने का तरीका बदलते तो शायद बच्चो को अच्छा लगता वो सिर्फ Ac और अच्छी अच्छी 🪑 चेयर और कोचिंग को सुंदर कैसे दिखना बस यह ही सोचते थे अगर वो बच्चे की प्रोब्लम को सॉल्यूशन अच्छे से बच्चो को समझा देते तो शा

यद ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ती। और शायद अच्छी जिंदगी वो जी रहे होते

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